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राजगीर
राजगीर का नाम राज गृह से पड़ा जिसका तात्पर्य है राजा का घर यह शहर भगवान बुद्ध के समय में प्रसिद्ध मगध साम्राज्य की राजधानी था जब पाटलिपुत्र शहर नही बसा था राजगीर नालंदा से 14 किमी की दूरी पर अवस्थित है राजगीर भारत के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है राजगीर की प्राकृतिक सुंदरता अदभुत है क्योंकि यह पाँच पवित्र पहाड़ों से घिरा है राजगीर शहर बौद्धों के साथ-साथ जैन लोंगों के लिए अत्यंत प्रिय तीन, यही पहाड़ी पर उन्होंने अपने दो गुफ़ाएँ हैं जो भगवान बुद्ध को विश्राम के लिए अत्यंत प्रिय तीन, यहीं पहाड़ी पर उन्होंने अपने दो प्रसिद्ध उपदेश दिए थे यहाँ से निकटतम हवाई अड्डा पटना में है (15 किमी ) और निकटतम रेलवे स्टेशन- बख़्तियारपुर (54 कि०मी०) है राजगीर शहर सड़क से पटना, गया, देल्ही, कोलकाता से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है
शहर के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

राज्य - बिहार, भारत के पूर्व में स्थित
महत्व – एक बौद्ध, जैन एवं हिंदू तीर्थ स्थल
यात्रा का सबसे अच्छा समय – अक्तूबर से मार्च
राजगीर के प्रमुख पर्यटक स्थल
शांति स्तूप - रत्नागिरी पहाड़ी की चोटों पर स्थित अत्यंत सफेद पठारों से निर्मित यह संरचना बौद्धों के लिए सबसे आकर्षक स्थल है यहाँ स्थित चार सोने की मूर्तियाँ बुद्ध के जन्म, संबोधि, शिक्षाओं व मृत्यु को दर्शाती है

ग्रीधकूट पर्वत - यह भगवान बुद्ध के प्रिय स्थलों में से एक थी जहाँ उन्होंने संबोधि प्राप्ति के उपरांत कई बार उपदेश दिया | यहीं पर उन्होंने दो प्रमुख सूत्रों का प्रतिपादन किया - लोटस सूत्र और प्राज्ञानपरिमिता

प्राचीन अवशेष - यहाँ राजा बिंबिसार और आजातशत्रु से जुड़े अनेक स्थल, गुफ़ाएँ एवं प्राचीन राजगृह शहर के अवशेष दर्शनीय है यहाँ आजातशत्रु द्वारा निर्मित 5 वीं सदी ई०पू० का किला देखा जा सकता है जहाँ उसने अपने पिता को क़ैद करके रखा था इसकी 115 किमी लंबी बाहरी दीवार पठारों के खंडों से निर्मित है|

सप्तपर्णी गुफा - इसी गुफा में भगवान बुद्ध के निर्वाण प्राप्ति के उपरांत पहली बौद्ध समिति का आयोजन हुआ था अब दर्शनीय स्थलों में बर्मीज मंदिर तथा एक आधुनिक जापानी मंदिर उल्लेखनीय हैं

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