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दुँगेश्वरी गुहा मंदिर
दुँगेश्वरी गुहा मंदिर जसे महाकाल गुफ़ाओं के नाम से भी जाना जाता है बोधगया (बिहार) के उत्तर-पूर्व में 12 कि० मी० की दूरी पर स्थित है| यहाँ तीन पवित्र बुद्ध गुफ़ाएँ हैं जिनके बारे मे मान्यता है की यहाँ बुद्ध ने ध्यान लगाया था| दुँगेश्वरी गुहा मंदिर प्राचीन गुफ़ाएँ हैं| इन गुफ़ाएँ मे भगवान बुद्ध बोधगया आने के पूर्व कई वर्षों तक कठोर निग्रह के साथ तपस्या की थी| इन तीन मुख्य गुफ़ाओं मे कई पवित्र बुद्ध आवशेष हैं और एक हिंदू धर्म से जुड़ा है| दुँगेश्वरी गुहा मंदिर स्थानीय लोगों मे सुजाता स्थान के नाम से लोकप्रिय है| इस मंदिर से जुड़ी एक प्रसिद्ध कहानी है| यह माना जाता है की कठोर तपस्या के कारण बुद्ध बिल्कुल कृशकाय हो गये थे| जब वे बरगद वृक्ष ने उसके आग्रह को स्वीकार किया और भोजन ग्रहन किया| बुद्ध इसके उपरांत इस निष्कर्ष पर पहुँचा की ना तो स्व के प्रति अति आग्रह और ना तो स्व के प्रति अति निग्रह ज्ञान प्राप्ति का सही तरीका है| आग्रह और ना तो स्व के प्रति अति निग्रह ज्ञान प्राप्ति का सही तरीका है| बुद्ध ने माध्यम मार्ग के ज्ञान को प्राप्त किया| जो परम निर्वाण को प्राप्त करने के लिए आव यक है| दुँगेश्वरी गुहा मंदिर इसी घटना का प्रतीकत्मस स्मारक है|
सिद्धार्ता गौतम के बारे मे विश्वास किया जाता है की बोधगया मे ज्ञान प्राप्ति करने हेतु जाने के पूर्व उन्होंने यहाँ छ: वर्षों तक ध्यान लगाया था| दो छोटे मंदिर इस घटना की याद मे यहाँ बनाए गये हैं| भिर्श स्वर्ण से बनी एक बुद्ध मूर्ति बुद्ध के कठोर निग्रह को दर्शाती हुई एक गुफा मंदिर मे रखी गई है और लगभग 6 फुट ऊँची विशाल बुद्ध मूर्ति दूसरे मंदिर मे रखी है | एक हिंदू देवी डुंगेश्वरी की मूर्ति भी गुहा मंदिर मे अंदर रखी गई है |
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