कोटेशवर धाम
यह स्थान प्राचीन काट मे शिवनगर के रूप मे जाना जाता था| कई ग्रंथों मे उल्लेख है की सहस्र शिवलिंग की स्थापना द्वापर युग के अंत मे की गई थी|
यह विश्वास किया जाता है की इस स्थान मे इतनी ताक़त है की र्जा भी तीर्थयात्री यहाँ आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है| स्वाभाविक रूप से प्रत्येक वर्ष सावन के महीने मे तीर्थयात्री यहाँ जलाभिषेक एव पूजा अर्चना के लिए आते है| सामान्यता भगवान शिव के पवित्र स्थलों पर बड़ी संख्या मे तीर्थयात्री सालॉंभर आतते हैं लेकिन सावन के पवित्र महीने मे यह सख्या और बढ़ जाती है| यह स्थान पक्की सड़्क द्वारा मक्दूमपूर, भकुराबाद धहेजन, टेकारी और बेला रामपुर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है|
पूर्वाभिमुख है| मंदिर के प्रमुख हिस्से गर्भगृह एक स्तंभ मंडप और मुख्य/ इस मंदिर मे द्रविड़ भौली मे हाल मे एक नया शिखर निर्मित किया गया है|
हालाँकि इसके आंतरिक स्थापत्य वास्तविक स्वरूप मे हीं संरक्षित किया गया है इसके गर्भगृह एव आंशिक बदलाव किए गये हैं| यह मंदिर मुख्यत: ईटो और ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है जिसे इसके प्रवेश द्वार अंतराल एव स्तंभ मे देखा जा सकता है|