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कोटेशवर धाम
गया ज़िला के बेलागंज प्रखंड के गाँव में बाज़ार कोटे वरनाथ मंदिर अवस्थित है| भगवान शिव के पवित्र मंदिर के रूप मे प्रसिद्द यह मोहर दरघा नदियों के संगम पर स्थित है | पटना से दक्षिण 20 की० मी० की दूरी पर स्थित कोटे वर मंदिर के बारे मे मान्यता है की इसका निर्माण 8वीं सदी ई० के आसपास हुआ था | कोटे वर मंदिर का गर्भगृह लाल पत्थर के एक टुकड़े को काटकर बनाया है जिसमे एक विशाल शिवलिंग के आसपास 1008 छोटे शिवलिंग हैं जो लगभग 1200 साल पुराना है | यह कहता है की वाणासुर का मेला और देवकुंड घने जंगल मे अवस्थित थे| उशा यहाँ मंदिर मे भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए आती थी जिस दौरान भगवान शिव प्रकट हुए और उसे इच्छपूर्ति हेतु सहस्र लिंगों की स्थापना करने का निदेश दिया | उसके बाद शिवलिंग की स्थापना की | इसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव ने उसकी इच्छा पूरी की और उसका अनिद्द से विवाह हुआ | अनिद्द भवान कृष्ण के पौत्रि थे जिनके साथ पत्नी के रूप मे उशा ने अपनी जीवन गुज़रा|
यह स्थान प्राचीन काट मे शिवनगर के रूप मे जाना जाता था| कई ग्रंथों मे उल्लेख है की सहस्र शिवलिंग की स्थापना द्वापर युग के अंत मे की गई थी|
यह विश्वास किया जाता है की इस स्थान मे इतनी ताक़त है की र्जा भी तीर्थयात्री यहाँ आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है| स्वाभाविक रूप से प्रत्येक वर्ष सावन के महीने मे तीर्थयात्री यहाँ जलाभिषेक एव पूजा अर्चना के लिए आते है| सामान्यता भगवान शिव के पवित्र स्थलों पर बड़ी संख्या मे तीर्थयात्री सालॉंभर आतते हैं लेकिन सावन के पवित्र महीने मे यह सख्या और बढ़ जाती है| यह स्थान पक्की सड़्क द्वारा मक्दूमपूर, भकुराबाद धहेजन, टेकारी और बेला रामपुर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है|
पूर्वाभिमुख है| मंदिर के प्रमुख हिस्से गर्भगृह एक स्तंभ मंडप और मुख्य/ इस मंदिर मे द्रविड़ भौली मे हाल मे एक नया शिखर निर्मित किया गया है|
हालाँकि इसके आंतरिक स्थापत्य वास्तविक स्वरूप मे हीं संरक्षित किया गया है इसके गर्भगृह एव आंशिक बदलाव किए गये हैं| यह मंदिर मुख्यत: ईटो और ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है जिसे इसके प्रवेश द्वार अंतराल एव स्तंभ मे देखा जा सकता है|
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